घर को मेरे मकान बनते देखा है
माँ का सुबह खाना बनाते देखा है पापा को ऑफ़िस के लिए जाते देखा है दीदी को साफ़ सफ़ाई करते देखा है चहल-पहल वाली सुबह को देखा है और देखते ही देखते समय को बदलते देखा है चार दीवारों में तन्हाई को बड़ते देखा है मैंने, घर को मेरे मकान बनते देखा है त्योहारों में उत्साह देखा है घर में मिठाई बनाते देखा है नए कपड़ों की उमंग को देखा है खिल खिलाती हुई सुबह और शाम को देखा है और देखते ही देखते समय को बदलते देखा है छत और ज़मीन के बीच सन्नाटे को बड़ते देखा है मैंने, घर को मेरे मकान बनते देखा है आज इसकी शादी में, कल उसकी शादी में जाना है इन बातों को होते देखा है क्या कपड़े पहनोगे, इन चर्चाओं को करते देखा है पूजा-पाथ, कथा-भागवत् को होते देखा है रिश्तेदारों से भरे घर को देखा है और देखते ही देखते समय को बदलते देखा है खिड़कियों से मातम को झांकते हुए देखा है मैंने, घर को मेरे मकान बनते देखा है छोटी-छोटी ख़ुशियों को मानते हुए देखा है दीदी की विदाई पर सबको साथ रोत...