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शादी और उलझने

बचपन से वैसे आज तक सिर्फ एक ही समस्या "पढ़ाईथी लेकिन अब मेरी उम्र (२४ - २८ साल) के लोगों के साथ एक अलग ही समस्या है जो है "शादी और उसकी उलझने" | वैसे ये उतनी बड़ी समस्या है नहीं, जितनी दिखती है बस फ़र्क़ है कि आप इसे किस नजरिए से देखते है |

दो तरह की युवा पीढ़ी है एक वो जिन्हे अभी तक कम से कम एक रूमानी संबंध का अनुभव हो गया है और दूसरे वो जिन्हे कोई ऐसा अनुभव का मौका नहीं मिला या उनका कभी इस तरफ ध्यान नहीं गया (जिसकी सम्भावना बहुत ही कम है) |  तो जिनका कोई भी रूमानी संबंध में अनुभव नहीं है उनके लिए शादी में कोई खास समस्या होती नहीं है | ये उसी तरह है जैसे अगर हम क़्वालिटी कंपनी की आइस-क्रीम खाना पसंद करते है और फिर अचानक कोई अलग कंपनी (रामदेव) की खाने बोला जाये तो विचार आता है पता नहीं कैसी होगी, बेकार हुई तो और कई विचार, लेकिन किसी को पहली बार ही आइस-क्रीम खाने मिले तो उसके लिए सब एक बराबर है और वो कंपनी से ज्यादा आइस-क्रीम का मज़ा लेगा | तो समस्या है जिन्हे अभी तक कभी रूमानी संबंध का अनुभव रहा है

ऐसे युवाओं का डर होता है कि कैसे विचार वाला जीवन साथी मिलेगा?, क्या वो मेरे साथ अनुकूल होगा या नहीं? और कई ऐसे सवाल मन में आते है क्यूंकि हम कहीं ना कहीं अपने पुराने अनुभव के साथ मन ही मन तुलना करने में लगे होते है जिसका हमे भी अनुभव नहीं होता | यही वजह होती है शादी करने से डर लगने की |

चलो ! इसको ऐसे समझते है कि अपने जब किसी से प्यार किया और फिर भविष्य के लिए खुद को उसके साथ रहने के लिए प्रतिबद्ध किया इस सब की प्रक्रिया क्या रही थी

सबसे पहले बात की, बातें अच्छी लगी तो मुलाकात की और कभी बिना मुलाक़ात के भी बातों से ही प्रतिबद्ध कर लिया एक-दूसरे के लिए
यदि दोनों को समान  अनुभव की अनुभूति होती है तो, सही? यदि यही समान प्रक्रिया शादी के लिए अनुसरण की जाये तो फिर शायद ही कोई डर दिल के अंदर रहेगा |

बात बहुत साधारण सी है डरने से अच्छा अपनी प्रक्रिया बदलिए और खुश रहिये

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