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Showing posts from January, 2022

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प्यार को पाना चाहता हूँ

 एक झूठ की छोटी सी दुनिया में अपने सच्चे प्यार को पाना चाहता हूँ  सही ग़लत को दूर रख कर  उसे वापस लाना चाहता हूँ  कोशिश थोड़ी कम कर सकता हूँ  लेकिन मलाल के साथ जी नहीं सकता हूँ जो फ़िल्मी लगता है  उसे हक़ीक़त बनाना चाहता हूँ  एक झूठ की छोटी सी दुनिया में अपने सच्चे प्यार को पाना चाहता हूँ  तुम्हें ज़िंदगी बनाया फिर खोया है  तुम्हें पाने की चाहत से तुमको पाया था  फिर वही चाहता दिल में जगाई है  जो असम्भव लगता है  उसे सम्भव बनाना चाहता हूँ  एक झूठ की छोटी सी दुनिया में अपने सच्चे प्यार को पाना चाहता हूँ  तुझे समझने से पहले  तुझे दूर भेज दिया  चाहत शायद मेरी कमजोर थी तुझको समझा दिया हर गलती को मिटाकर  तुझे अपनाना चाहता हूँ  एक झूठ की छोटी सी दुनिया में अपने सच्चे प्यार को पाना चाहता हूँ 

ये हक़ मेरा कर दो

हर वक़्त तुम्हारे लिए ये दिन तुम्हारा  शामें तुम्हारी,  चलो रातें भी तुम्हारी कुछ पल चुरा सकूँ  ये हक़ मेरा कर दो हर जज़्बात तुम्हारे लिए ये प्यार तुम्हारा आदत तुम्हारी चलो बातें भी तुम्हारी कुछ प्यारे लम्हे चुरा सकूँ ये हक़ मेरा कर दो हर तहज़ीब तुम्हारे लिए ये आदाब तुम्हारा महफ़िल तुम्हारी चलो ये हुकूमत भी तुम्हारी  कुछ नज़रें चुरा सकूँ ये हक़ मेरा कर दो 

शादी और उलझने

बचपन से वैसे आज तक सिर्फ एक ही समस्या  " पढ़ाई "  थी लेकिन अब मेरी उम्र ( २४ - २८ साल ) के लोगों के साथ एक अलग ही समस्या है जो है " शादी और उसकी उलझने " | वैसे ये उतनी बड़ी समस्या है नहीं, जितनी दिखती है बस फ़र्क़ है कि आप इसे किस नजरिए से देखते है | दो तरह की युवा पीढ़ी है एक वो जिन्हे अभी तक कम से कम एक रूमानी संबंध का अनुभव हो गया है और दूसरे वो जिन्हे कोई ऐसा अनुभव का मौका नहीं मिला या उनका कभी इस तरफ ध्यान नहीं गया ( जिसकी सम्भावना बहुत ही कम है ) |  तो जिनका कोई भी रूमानी संबंध में अनुभव नहीं है उनके लिए शादी में कोई खास समस्या होती नहीं है | ये उसी तरह है जैसे अगर हम क़्वालिटी कंपनी की आइस - क्रीम खाना पसंद करते है और फिर अचानक कोई अलग कंपनी ( रामदेव ) की खाने बोला जाये तो विचार आता है पता नहीं कैसी होगी , बेकार हुई तो और कई विचार , लेकिन किसी को पहली बार ही आइस - क्रीम खाने मिले तो उसके लिए सब एक ब...

प्यार और शादी

सही ग़लत के बीच ज़िंदगी की उलझन है सही समझ नहीं आता ग़लत ख़ुदको बताना नहीं चाहता प्यार इसको परिभाषित कर सकूँ इतनी मेरी औकात कहाँ लेकिन जितना मैं समझा हूँ उतना जरूर साझा कर सकता हूँ कि प्यार एक अनुभूति है - " जो हमे किसी के पास रहने की वजह देती है चाहे वो इंसान हो , जानवर हो , पेड़ - पौधे , पशु - पक्षी , हरियाली , नदी , तालाब , झरने , या कोई भी निर्जीव या सजीव वस्तु " हमे उसकी इज़्ज़त करने की वजह देती है या इसके प्रतिकूल | " प्यार के लिए एक - मात्र जरुरी है वो है एक - दूसरे के लिए अनुभूति होना जो उन्हें बिना किसी बंधन के लिए साथ रहने के लिए पर्याप्त रूप से प्रेरित कर सके " प्यार हम करते है , करना चाहते है और जिससे करते है उससे भी बदले में चाहते है लेकिन जिससे हम नहीं करते वो करे या ना करे कोई फर्क नहीं पड़ता हमे | शादी " की नहीं तो क्या हुआ बारातें काफी देखी है " - तो इसी अनुभव से जो मैं समझा हूँ वो समझाने का प्रयास जरूर ...